आनी,
आनी क्षेत्र के बटाला गाँव में रविवार को होली का पर्व. फाग उत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जिसमें स्थानीय ग्रामीणों ने ठाकुर मुरलीधर संग खूब गुलाल उड़ाकर ब्रज सी होली खेली।
गाँव के ब्राह्मण पुरोहितों ने रविवार को अपने ईष्ट देवता कृष्ण स्वरूप मुरलीधर की विधिवत पूजा आरती की और उन्हें भोग लगाने के बाद देव वाद्य यंत्रों की थाप पर. उन्हें होली के रंग लगाए और ग्रामीणों ने भी कृष्ण भक्ति की मस्ती में झूमकर. एक दूसरे को रंग लगाया और फाग पर्व की बधाई दी।
ग्रामीणों ने अंत में सामूहिक नाटी डालकर. प्राचीन संस्कृति का निर्वहन किया। गौर हो कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भले ही होली का उत्सव विविध प्रकार और अलग-अलग रस्मों से मनाया जाता हो. परंतु सबका उद्देश्य एवं भावना एक ही है-भक्ति.सच्चाई के प्रति आस्था और मनोरंजन। बात करते हैं जिला कुल्लू के बाह्य सिराज क्षेत्र आनी की। इस इलाके में लोग आज भी कई प्राचीन संस्कृति व परंपराओं को संजोये हुए है। आनी के गाँव बटाला में मनाये जाने बाले फाग मेले की परम्परा भी बहुत प्राचीन है। यहां के आराध्य देव ठाकुर मुरलीधर के सानिध्य में मनाये जाने वाले फाग मेले का यहाँ के ग्रामीणों को बेसब्री से इंतजार रहता है। यह उत्सव बटाला गांव में स्थित ठाकुर मुरलीधर के मंदिर में फाल्गुन मास को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव रविवार को मनाया जा रहा है। जिसमें दिन को ग्रामीणों कृष्ण जी संग होली खेली गई । जबकि रविवार की संध्या को मन्दिर में ठाकुर मुरलीधर की पूजा आरती के बाद. भजन कीर्तन का दौर चलता है। जो सोमवार प्रातः चार बजे तक चलता रहता है। उसके बाद ठाकुर मुरलीधर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए वाद्य यंत्रों की थाप और ढोलकी. चिमटा व शंखनाद की गूँज के साथ. चांदी की पालकी में सवार होकर. मन्दिर गर्भ गृह से वाहर प्रांगण में निकलते हैं और प्रांगण में 12 जलती मशालों के सुरक्षा घेरे में ढाई फेरे लगाते हैं और होलिका दहन के उपरांत वापिस मन्दिर के गर्भ गृह में लौट जाते हैं। ठाकुर मुरलीधर के इस दिव्य रूप और फाग के अलौकिक दृश्य को देखने के लिए बटाला में रविवार की रात्रि को विभिन्न क्षेत्रों से हजारों लोग एकत्रित होते हैं।